पब्लिक स्वर,अभनपुर/रायपुर। राजधानी के नजदीक ग्राम खिलौरा में स्थित AVK एग्रो लाइफ साइंस कीटनाशक फैक्ट्री पर एक बार फिर गंभीर आरोप लगे हैं। कृषि और पर्यावरण विभाग की मिलीभगत से यह प्लांट रिहायशी इलाके में संचालित हो रहा है, जिससे कैंसर जैसी बीमारियों और गैस रिसाव का खतरा मंडरा रहा है।यहां तक कि कृषि विभाग संचालक कार्यालय के साथ साथ अभनपुर कृषि विभाग के अधिकारी भी इस सिंडिकेट में शामिल होकर कृषि केंद्रों पर दबाव बना कर फर्जी दवाइयों को बिकवाने कर गोरख धंधे को बढ़ावा दे रहे हैं।
कृषि NGT और पर्यावरण नियमों की उड़ा रहे धज्जियाँ
फैक्ट्री हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी से मात्र 50 से 100 मीटर की दूरी पर स्थित है, जबकि नियमों के अनुसार कम से कम 500 मीटर की दूरी अनिवार्य है। फिर भी, पर्यावरण विभाग ने NOC जारी कर दी, और कृषि विभाग ने उत्पादन का लाइसेंस भी दे दिया। यह सीधा-सीधा नियमों का मज़ाक और आम जनता की जान के साथ खिलवाड़ है।अब मामले में NGTछत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल,कृषि मंत्री,संचालक कृषि सहित अन्य को पूरे प्रमाण के साथ शिकायत की गई है।
गैस रिसाव से सांस की दिक्कत, चक्कर, मुंह चिपकना, स्वास्थ्य संकट शुरू
पब्लिक स्वर के पास मौजूद वीडियो में स्थानीय नागरिकों ने बताया कि प्लांट से निकलने वाली गैसों से उन्हें सांस लेने में परेशानी, मुंह सूखने, और चक्कर आने जैसी समस्याएं हो रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह गैसें कैंसर जनक रसायनों से युक्त हो सकती हैं।
बड़ा सवाल यह है कि क्या यह पूरी साजिश “भोपाल गैस त्रासदी के बाद अब रायपुर को भी एक और त्रासदी की ओर धकेलने की है।जिसमें कृषि विभाग पूरी तरह आतुर हो चुका है।बताते हैं कि कृषि विभाग के अधिकारी रिटायरमेंट के बाद उक्त कंपनी के मैनेजर बनेंगे इसी शर्त पर इस गोरख धंधे को बढ़ावा दे रहे हैं।
फर्जी लाइसेंस, फर्जी उत्पाद, किसानों को ज़हर बेचने का खेल
AVK कंपनी द्वारा "काला हीरा" जैसे संदिग्ध उत्पादों की आपूर्ति राज्य के कई जिलों में हो रही है। अंबागढ़ चौकी में जब इस उत्पाद की जांच की गई तो पाया गया कि अंदर कोयले की धूल या अगरबत्ती पाउडर जैसा पदार्थ भरा था। डिब्बे पर AVK क्रॉप साइंस का नाम, पर सामग्री किसी और कंपनी से मिलती-जुलती।
बिना MARKETED BY और बिना भंडारण लाइसेंस के भारी उत्पादन
कंपनी के पास भंडारण का लाइसेंस तक नहीं है, फिर भी भारी मात्रा में अमानक और अवैध कीटनाशकों का स्टॉक और उत्पादन किया जा रहा है। इससे किसानों की फसलें बर्बाद हो रही हैं और वे कर्ज के जाल में फंस कर आत्महत्या जैसे कदम उठाने को मजबूर हो रहे हैं।
कटरे बंधु का ‘काला खेल’: एक जेल में, दूसरा अब रायपुर में एक्टिव
जांच में यह भी सामने आया है कि कटरे बंधु नामक सिंडिकेट इस रैकेट को चला रहा है। एक भाई मध्य प्रदेश में गिरफ्तार होकर जेल जा चुका है, वहीं दूसरा रायपुर में आम लोगों की जान से खिलवाड़ कर रिहायशी इलाके में कीटनाशक और बीज बनाकर पूरे छत्तीसगढ़ और MP में सप्लाई कर रहा है।
प्रशासनिक मिलीभगत का खेल:आखिर इस काले खेल में किसका हाथ
रायपुर कलेक्टर ने अब तक इस गंभीर मसले पर कोई संज्ञान नहीं लिया। सूत्रों के अनुसार, AVK संचालक का कलेक्ट्रेट में आना-जाना आम बात है। क्या ये एक सिंडिकेट को प्रशासनिक संरक्षण दिए जाने का मामला है?
आज रायपुर की जनता और किसानों को एक नए ‘भोपाल कांड’ से बचाने की ज़रूरत है। प्रशासन की चुप्पी अब सवालों के घेरे में है। जब तक प्रेस, समाज और जागरूक नागरिक मिलकर आवाज नहीं उठाएंगे, तब तक ऐसे कारनामे बंद नहीं होंगे।
अगली कड़ी में पढ़िए:
कौन हैं कटरे बंधु? उनका नेटवर्क कहां-कहां फैला है?
कौन से अधिकारी AVK के संरक्षक बन बैठे हैं?
प्लांट से जुड़े एक्सक्लूसिव कॉल रिकॉर्डिंग और दस्तावेज़!

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