पब्लिक स्वर,छत्तीसगढ़।हिन्दू,मुस्लिम,सिख ईसाई के देवता श्री बाबा रामदेव जी का माघ के मेले की शुरुआत 30 जनवरी से होने जा रही है।कलयुग के अवतारी श्री बाबा रामदेव भगवान श्री कृष्ण के अवतार है जिनका धाम राजस्थान के जैसलमेर ज़िले के रुणिचा में है वहीं यह धाम को रामदेवरा के रूप में जाना जाता है।यह मेला माघ शुक्ल पक्ष की द्वितीया से पूर्णिमा तक चलता है।
दुर्ग के नवकार परिसर और राजनांदगांव में भी बाबा का चमत्कारिक दरबार
भारत में कई सामाजिक समूह उन्हें इष्ट-देव के रूप में पूजते हैं।माघ के विशाल मेले में श्री बाब रामदेव जी का गुणगान न सिर्फ देश बल्कि विदेशों में भी होता है।वहीं दुर्ग में नवकार परिसर में आयोजन के सम्बन्ध में समाज सेविका पायल जैन ने बताया कुंमट परिवार पिछले कई सालों से बाबा के आशीर्वाद व सोहनलाल बापजी(चालीसगांव) व भक्तमाता मा शांता देवी के सानिध्य में दूज से लेकर दशमी तक बाबा का जम्मा जागरण आयोजित किया जाता है।और इस दरबार में न सिर्फ राज्य से बल्कि दूर दराज से भी कई भक्त धोक लगाते हैं और पर्चा पाते हैं।वहीं इस बार राजस्थान,मध्य प्रदेश,कोलकाता सहित अन्य जगहों से बाबा की पावन कथा सुनाने कलाकार भी भजन संध्या व जम्मा जागरण के लिए पहुंच रहे हैं।वहीं राजनांदगांव जो कि संस्कार धानी के नाम से जाना जाता है वहां भी बाबा मंदिर में दूज से दशमी तक 8 दिनों का महोत्सव मनाया जाएगा।आपको बता दें कि राजनांदगांव रामदेवरा के बाद श्री राम सा पीर का दूसरा धाम है जहां बाबा का समाधि स्थल बनाया गया है जहां भक्तों का तांता लगा रहता है।
राजधानी रायपुर में भी दूज से दशक तक भव्य आयोजन
राजधानी रायपुर में भी सत्ती बाज़ार स्थित शाकद्वीपीय ब्राह्मण समाज ट्रस्ट द्वारा बाबा मंदिर में 31 जनवरी व 07 फरवरी को विशाल जम्मा जागरण और भजन संध्या आयोजित किया गया है।शाकद्वीपीय ब्राह्मण समाज ट्रस्ट के अध्यक्ष जितेंद्र शर्मा के मुताबिक माघ के मेले में समाज में छोटे बच्चे से लेकर बड़े बुजुर्गों तक बाबा की महिमा का बखान सुनने मिले और आज के युग में भटकते नौ जवानों को सही किनारा मिले इसलिए बाबा के प्रताप से ही हर साल सफल आयोजन होता है।और उन्होंने कहा कि मैं पूरे विश्वास से कह रहा हूं कि जो बाबा के दरबार में अर्जी लगाता है वो बिन मांगे ही सब कुछ पाता है।
जानिए माघ के मेले के बारे में
चमत्कारी दरबार में माघ व भादव में भक्त गुजरात,राजस्थान,हरियाणा,छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों से पैदल यात्रा,दंडवत प्रणाम करते करते पहुंचते हैं।रामदेव जी का दरबार आस्था का प्रतीक है।माना जाता है कि बाबा के चमत्कारिक दरबार में भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है।बाबा श्री रामदेव जी का जन्म संवत 1409 में उण्डू काश्मीर में पोखरण के राजा अजमल जी के घर में हुआ था।रामदेव जी के जन्म से पहले बसंत पंचमी के दिन भगवान श्री कृष्ण के भाई बलराम(शेष नाग) के अवतार के रूप में रामदेव जी के बड़े भाई बीरमदेव जी का जन्म हुआ था जिसके बाद माघ का मेला घोषित हुआ।
वहीं ठीक 6 महीने के बाद ऊंच नीच,गरीब अमीर का भेद मिटाने भगवान श्री कृष्ण के अवतार श्री बाबा रामदेव का जन्म भादवा सुदी दूज के दिन अवतार हुआ।चूंकि भगवान शून्य के अंश थे इसलिए उन्होंने गर्भ से जन्म नहीं लिया और दूज के दिन पालने में आकर सो गए जिसके बाद उनका नाम रामदेव रखा गया और भादव का मेला घोषित हुआ।